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एक दिन वाले उपाय किसी भी दिन कर सकते हैं, लेकिन लम्बे चलने वाले उपाय (जैसे 8, 9, 12, 13, 27, 43 दिन की अवधि वाले) हिन्दी तिथि के अनुसार चतुर्थी, नवमी या चतुर्दशी को शुरू न करें।
उपाय दिन के समय करें (सूर्योदय के बाद एवं सूर्यास्त से पहले)
8, 9, 12, 13, 27, 43 दिन के लम्बें उपाय लगातार करने होते हैं।
लम्बे चलने वाले उपाय एक समाप्त हो जाने के बाद ही दूसरा लम्बा वाला उपाय अगले दिन से शुरू करें (चतुर्थी, नवमी या चतुर्दशी को छोड़कर)। लम्बी अवधि वाले उपायों के साथ थोड़ा समय अन्तराल देकर एक दिन वाला उपाय भी कर सकते हैं।
जिस उपाय को करने का समय सूर्यास्त के बाद बताया गया है, सिर्फ उसे ही सूर्यास्त के बाद करें।
लम्बी अवधी वाला कोई भी उपाय बिना नागा किया करें। अगर किसी वजह से उपाय बीच में छूट जाये तो वह दिन गुजरने से पहले दो मुट़ठी साबुत चावल को कच्चे दूध से धोकर सफेद रंग के सूती कपड़ें में बांधकर एक पोटली के रूप में अपने पास रख लें और जब अगले दिन उपाय आगे से शुरू करें तो उपाय करने के बाद इस पोटली को साफ बहते जल में प्रवाह दें या इसे मंदिर में रख आएं। यह तरीका एक उपाय में एक ही बार इस्तेमाल करें।
मंदिर वाले उपाय महिलाओं के लिए माह के पांच दिन वर्जित होते हैं, बाकी सभी उपाय वे कर सकती हैं। इन पांच दिनों में चल रहे उपाय को खून से सम्बन्धित घर का कोई अन्य सदस्य उनके नाम से कर सकता है।
यदि कुंडली वाला जातक खुद उपाय नहीं कर सकता है तो परिवार में खून से सम्बन्धित कोई अन्य सदस्य उपाय कर सकता है, पर ऐसी अवस्था में ज्योषिाचार्य जी को उपाय लेने से पहले ही बता दें।